श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  1.13.34 
 
 
पितर्युपरते पाण्डौ सर्वान्न: सुहृद: शिशून् ।
अरक्षतां व्यसनत: पितृव्यौ क्‍व गतावित: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मेरे पिता पांडु गिर पड़े और हम सब छोटे-छोटे बच्चे थे, तब इन दोनों चाचा-ताऊ ने हमें हर तरह की विपत्ति से बचाया था। वे हमेशा हमारे अच्छे शुभचिंतक रहे हैं। अफसोस, वे यहाँ से कहाँ चले गए?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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