श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.13.22 
 
 
अन्ध: पुरैव वधिरो मन्दप्रज्ञाश्च साम्प्रतम् ।
विशीर्णदन्तो मन्दाग्नि: सराग: कफमुद्वहन् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  आप तो जन्मजात अंधे हैं और हाल में आप कुछ बहरे भी हो गए हैं। आपकी स्मृतिक्षय हो गई है और आपकी बुद्धि भ्रमित हो गई है। आपके दाँत हिल चुके हैं, आपका यकृत खराब हो गया है और आप ख़ाँस कर कफ निकाल रहे हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.