श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.13.19 
 
 
प्रतिक्रिया न यस्येह कुतश्चित्कर्हिचित्प्रभो ।
स एष भगवान् काल: सर्वेषां न: समागत: ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  इस भौतिक संसार में कोई भी व्यक्ति इस भयावह स्थिति का निराकरण नहीं कर सकता। हे प्रभु, अनन्त समय [काल] के रूप में सर्वोच्च पुरुषोत्तम भगवान हम सब पर आ पहुँचे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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