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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग
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श्लोक 15
श्लोक
1.13.15
अबिभ्रदर्यमा दण्डं यथावदघकारिषु ।
यावद्दधार शूद्रत्वं शापाद्वर्षशतं यम: ॥ १५ ॥
अनुवाद
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जब तक मण्डूक मुनि के शाप के कारण विदुर शूद्र के शरीर में रहे, तब तक पाप करने वालों को दंडित करने के लिए यमराज के पद पर अर्यमा नियुक्त रहे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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