श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  1.13.10 
 
 
भवद्विधा भागवतास्तीर्थभूता: स्वयं विभो ।
तीर्थीकुर्वन्ति तीर्थानि स्वान्त:स्थेन गदाभृता ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, आपके जैसे भक्त साक्षात् धरती पर देवता हैं। आपके हृदय में भगवान् का निवास है, इसलिए आप जिस स्थान पर जाते हैं, वह तीर्थ स्थान बन जाता है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.