दैवेनाप्रतिघातेन शुक्ले संस्थामुपेयुषि ।
रातो वोऽनुग्रहार्थाय विष्णुना प्रभविष्णुना ॥ १६ ॥
अनुवाद
ब्राह्मणों ने कहा: यह निष्कलंक पुत्र, आप पर अनुग्रह करने के लिए सर्वशक्तिमान तथा सर्वव्यापी भगवान् विष्णु द्वारा बचाया गया है। वह अन्यथा नियति के अनुसार एक अप्रतिरोध्य अलौकिक अस्त्र के हाथों नष्ट हो जाना था।