श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 11: भगवान् श्रीकृष्ण का द्वारका में प्रवेश  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.11.7 
 
 
भवाय नस्त्वं भव विश्वभावन
त्वमेव माताथ सुहृत्पति: पिता ।
त्वं सद्गुरुर्न: परमं च दैवतं
यस्यानुवृत्त्या कृतिनो बभूविम ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ब्रह्माण्ड के निर्माता, आप हमारी माँ, शुभचिंतक, भगवान, पिता, आध्यात्मिक गुरु और पूजनीय देवता हैं। आपके पदचिह्नों पर चलकर हम हर प्रकार से सफल हुए हैं। इसीलिए हमारी प्रार्थना है कि आप हमें अपनी कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते रहें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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