श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 11: भगवान् श्रीकृष्ण का द्वारका में प्रवेश  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  1.11.39 
 
 
तं मेनिरेऽबला मूढा: स्त्रैणं चानुव्रतं रह: ।
अप्रमाणविदो भर्तुरीश्वरं मतयो यथा ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  वे सरल और कोमल स्त्रियाँ वास्तव में यह मान बैठीं कि उनके प्रिय पति, भगवान श्री कृष्ण, उनके प्रति आकर्षित हैं और उनके वश में हैं। वे अपने पति की महिमाओं से उतनी ही अनजान थीं, जितनी कि नास्तिक लोग भगवान से सर्वोच्च नियंत्रक के रूप में अनजान रहते हैं।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध एक के अंतर्गत ग्यारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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