वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 1: सृष्टि
»
अध्याय 11: भगवान् श्रीकृष्ण का द्वारका में प्रवेश
»
श्लोक 25
श्लोक
1.11.25
नित्यं निरीक्षमाणानां यदपि द्वारकौकसाम् ।
न वितृप्यन्ति हि दृश: श्रियो धामाङ्गमच्युतम् ॥ २५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
द्वारका के वासी समस्त सौन्दर्य के आगार अच्युत भगवान् को नित्य निरखते रहते थे, किन्तु फिर भी वे कभी तृप्त नहीं होते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.