श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 11: भगवान् श्रीकृष्ण का द्वारका में प्रवेश  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.11.22 
 
 
प्रह्वाभिवादनाश्लेषकरस्पर्शस्मितेक्षणै: ।
आश्वास्य चाश्वपाकेभ्यो वरैश्चाभिमतैर्विभु: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  सर्वशक्तिमान भगवान ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन सबसे नीची जाति के व्यक्ति तक सिर झुकाकर, बधाई देकर, आलिंगन करके, हाथ मिलाकर, देखकर और मुस्कुराकर, आश्वासन देकर और आशीर्वाद देकर किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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