वे फूल चढ़ाने वाले ब्राह्मणों को साथ लेकर तेज़ी से रथों पर सवार होकर महादेव की ओर बढ़े। उनके आगे-आगे हाथी—सौभाग्य के प्रतीक—चल रहे थे। शंख और तुरही बजाए जा रहे थे और वैदिक ऋचाओं का उच्चारण हो रहा था। इस तरह उन्होंने उनका अभिवादन किया जो स्नेह के रंग में रंगा हुआ था।