इन प्रांतों से होकर यात्रा करते समय सर्वत्र उनका स्वागत किया गया, पूजा की गई और उन्हेंविविध भेंटें प्रदान की गईं। संध्या समय, सभी जगहों पर संध्या-कालीन अनुष्ठान (कृत्य) करने के लिए भगवान अपनी यात्रा स्थगित करते थे। सूर्यास्त के बाद नियमित रूप से ऐसा किया जाता था।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध एक के अंतर्गत दसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।