श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 10: द्वारका के लिए भगवान् कृष्ण का प्रस्थान  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  1.10.31 
 
 
एवंविधा गदन्तीनां स गिर: पुरयोषिताम् ।
निरीक्षणेनाभिनन्दन् सस्मितेन ययौ हरि: ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  राजधानी हस्तिनापुर की स्त्रियाँ अभी प्रभु श्री कृष्ण का अभिनंदन कर ही रही थीं और इस प्रकार से उनसे बातचीत कर रही थीं कि प्रभु मुस्कराते हुए उनकी शुभकामनाओं को स्वीकारते हैं और उन पर अपनी अनुकंपा की दृष्टि डालते हुए नगर से प्रस्थान करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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