श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 10: द्वारका के लिए भगवान् कृष्ण का प्रस्थान  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  1.10.24 
 
 
स वा अयं सख्यनुगीतसत्कथो
वेदेषु गुह्येषु च गुह्यवादिभि: ।
य एक ईशो जगदात्मलीलया
सृजत्यवत्यत्ति न तत्र सज्जते ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रिय सखियों, यहाँ श्री कृष्ण ही सर्वोच्च सत्ता और लीलाधारी हैं, जिनकी अत्यंत आकर्षक और गुप्त लीलाओं का वर्णन वेदों के गुह्यतम भागों में बड़े-बड़े भक्तों द्वारा किया गया है। यह वही हैं जो इस भौतिक जगत की सृष्टि करते हैं, पालन करते हैं और अंत में इसका संहार भी करते हैं, फिर भी वे इससे कभी प्रभावित नहीं होते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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