श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 10: द्वारका के लिए भगवान् कृष्ण का प्रस्थान  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.10.19 
 
 
अश्रूयन्ताशिष: सत्यास्तत्र तत्र द्विजेरिता: ।
नानुरूपानुरूपाश्च निर्गुणस्य गुणात्मन: ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  इधर-उधर सुनाई पड़ रहा था कि कृष्ण को दिए गए आशीर्वाद न तो उनके अनुकूल हैं और न ही प्रतिकूल, क्योंकि वे सभी उस परम पुरुष के लिए थे जो इस समय मनुष्य के रूप में अवतरित हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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