श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 23: रावण के द्वारा निवातकवचों से मैत्री, कालकेयों का वध तथा वरुणपुत्रों की पराजय  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  7.23.11 
 
 
निवातकवचानां तु निवार्य रणकर्म तत्।
वृद्ध: पितामहो वाक्यमुवाच विदितार्थवत्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  वृद्ध पितामह ने निवातकवच योद्धाओं के उस युद्ध-कर्म को रोक दिया और उनसे स्पष्ट शब्दों में यह बात कही-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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