श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 23: रावण के द्वारा निवातकवचों से मैत्री, कालकेयों का वध तथा वरुणपुत्रों की पराजय  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  7.23.1 
 
 
ततो जित्वा दशग्रीवो यमं त्रिदशपुङ्गवम्।
रावणस्तु रणश्लाघी स्वसहायान् ददर्श ह॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  (अगस्त्यजी कहते हैं - रघुनन्दन!) युद्ध में इंद्र सहित देवताओं के मुखिया यम को पराजित कर दशकंधर रावण अपने सहायकों के साथ मिल गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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