विश्रवा मुनि वेदों के विद्वान, सबको समान दृष्टि से देखने वाले, व्रत और आचार का पालन करने वाले तथा अपने पिता के समान ही तपस्वी हुए।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे द्वितीय: सर्ग: ॥ २ ॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें दूसरा सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ॥