श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 110: भाइयों सहित श्रीराम का विष्णुस्वरूप में प्रवेश तथा साथ आये हुए सब लोगों को संतानक- लोक की प्राप्ति  »  श्लोक 23-24h
 
 
श्लोक  7.110.23-24h 
 
 
अवगाह्याप्सु यो यो वै प्राणांस्त्यक्त्वा प्रहृष्टवत्॥ २३॥
मानुषं देहमुत्सृज्य विमानं सोऽध्यरोहत।
 
 
अनुवाद
 
  जो-जो जीव जल में गोता लगाता था, वह-वह बड़े हर्ष के साथ प्राणों और मानव-शरीर का त्याग करके विमान पर जा बैठता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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