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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 110: भाइयों सहित श्रीराम का विष्णुस्वरूप में प्रवेश तथा साथ आये हुए सब लोगों को संतानक- लोक की प्राप्ति
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श्लोक 22-23h
श्लोक
7.110.22-23h
तथा ब्रुवति देवेशे गोप्रतारमुपागता:॥ २२॥
भेजिरे सरयूं सर्वे हर्षपूर्णाश्रुविक्लवा:।
अनुवाद
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देवेश्वर ब्रह्माजी के संतानक- लोकों की प्राप्ति की घोषणा करते ही, गोप्रतारघाट पर एकत्रित सभी लोग आनंद के आँसुओं से भरे हुए सरयू नदी में डुबकी लगाने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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