श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  7.1.39 
 
 
शक्यं यदि मया श्रोतुं न खल्वाज्ञापयामि व:।
यदि गुह्यं न चेद् वक्तुं श्रोतुमिच्छामि कथ्यताम्॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि यह सुनने योग्य हो और गुप्त न हो तो मैं इसे सुनना चाहता हूँ। आप लोग कृपया बताने का कष्ट करें। यह मेरा विनम्र निवेदन है। मैं आपको आज्ञा नहीं दे रहा हूँ |
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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