श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 35-36
 
 
श्लोक  7.1.35-36 
 
 
महोदरं प्रहस्तं च विरूपाक्षं च राक्षसम्॥ ३५॥
मत्तोन्मत्तौ च दुर्धर्षौ देवान्तकनरान्तकौ।
अतिक्रम्य महावीरान् किं प्रशंसथ रावणिम्॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  महोदर, प्रहस्त, विरूपाक्ष और मत्त, उन्मत्त, दुर्धर्ष वीर देवान्तक और नरान्तक जैसे महान वीरों के होते हुए भी तुम रावण कुमार इन्द्रजित् की प्रशंसा क्यों कर रहे हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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