श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 33-34h
 
 
श्लोक  7.1.33-34h 
 
 
श्रुत्वा तु वचनं तेषां मुनीनां भावितात्मनाम्॥ ३३॥
विस्मयं परमं गत्वा राम: प्राञ्जलिरब्रवीत्।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्रजी ने उन पवित्रात्मा ऋषियों की बातें सुनकर अत्यधिक आश्चर्य और विस्मय का अनुभव किया। उन्होंने हाथ जोड़कर उनसे पूछना शुरू किया-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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