श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 31-32h
 
 
श्लोक  7.1.31-32h 
 
 
एते चान्ये च बहवो राक्षसा: कामरूपिण:॥ ३१॥
दिष्टॺा त्वया हता वीरा रघूणां कुलवर्धन।
 
 
अनुवाद
 
  जय हो रघुकुल के बढ़ाने वाले और वीर श्रीराम! प्रसन्नता की बात है कि इन राक्षसों और अन्य भी कई कामरूपी वीरों का वध आपके हाथों ही हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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