श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 30-31h
 
 
श्लोक  7.1.30-31h 
 
 
अभिनन्दाम ते सर्वे संश्रुत्येन्द्रजितो वधम्।
अवध्य: सर्वभूतानां महामायाधरो युधि॥ ३०॥
विस्मयस्त्वेष चास्माकं तं श्रुत्वेन्द्रजितं हतम्।
 
 
अनुवाद
 
  ‘इन्द्रजित् के वधका समाचार सुनकर हम सब लोग बहुत प्रसन्न हुए हैं और इसके लिये आपका अभिनन्दन करते हैं। वह महामायावी राक्षस युद्धमें सभी प्राणियोंके लिये अवध्य था। वह इन्द्रजित् भी मारा गया, यह सुनकर हमें अधिक आश्चर्य हुआ है॥ ३० १/२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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