श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 3-4h
 
 
श्लोक  7.1.3-4h 
 
 
स्वस्त्यात्रेयश्च भगवान् नमुचि: प्रमुचिस्तथा।
अगस्त्योऽत्रिश्च भगवान् सुमुखो विमुखस्तथा॥ ३॥
आजग्मुस्ते सहागस्त्या ये श्रिता दक्षिणां दिशम्।
 
 
अनुवाद
 
  स्वस्त्यात्रेय, भगवान् नमुचि, प्रमुचि, अगस्त्य, भगवान् अत्रि, सुमुख और विमुख – ये सभी महर्षि अगस्त्य के साथ दक्षिण दिशा में रहते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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