श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  7.1.29 
 
 
दिष्टॺा तस्य महाबाहो कालस्येवाभिधावत:।
मुक्त: सुररिपोर्वीर प्राप्तश्च विजयस्त्वया॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  हे महाबाहु वीर! काल के समान वेग से आक्रमण करने वाले उस देवद्रोही राक्षस के नागपाश से मुक्त होकर आपने विजय प्राप्त की, यह बड़े सौभाग्य की बात है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.