श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  7.1.27 
 
 
दिष्टॺा त्वं राक्षसेन्द्रेण द्वन्द्वयुद्धमुपागत:।
देवतानामवध्येन विजयं प्राप्तवानसि॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  दिव्य कृपा से आपने राक्षसों के राजा रावण से द्वंद्व युद्ध किया, जो देवताओं के लिए भी अवध्य था। आपने विजय प्राप्त की, यह बहुत सौभाग्यपूर्ण है॥27॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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