श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  7.1.2 
 
 
कौशिकोऽथ यवक्रीतो गार्ग्यो गालव एव च।
कण्वो मेधातिथे: पुत्र: पूर्वस्यां दिशि ये श्रिता:॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  कौशिक, यवक्रीत, गार्ग्य, गालव तथा मेधातिथि के पुत्र कण्व जिन्होंने प्रमुख रूप से पूर्व दिशा में निवास किया था, वहाँ पहुँचे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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