श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.1.18 
 
 
नहि भार: स ते राम रावण: पुत्रपौत्रवान्।
सधनुस्त्वं हि लोकांस्त्रीन् विजयेथा न संशय:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम, रावण आपके जैसा वीर-सपूतों वाला न होकर केवल पुत्र-पौत्रवाला है और आपके लिए वह संकट उत्पन्न नहीं कर सकता। यदि आप बाण-धनुष लेकर खड़े हो जाएं तब तो तीनों लोकों पर आप विजय पा सकते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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