वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न
»
श्लोक 16-17
श्लोक
7.1.16-17
कुशलं नो महाबाहो सर्वत्र रघुनन्दन॥ १६॥
त्वां तु दिष्टॺा कुशलिनं पश्यामो हतशात्रवम्।
दिष्टॺा त्वया हतो राजन् रावणो लोकरावण:॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘महाबाहु रघुनन्दन! हमारे लिये तो सर्वत्र कुशल-ही-कुशल है। सौभाग्यकी बात है कि हम आपको सकुशल देख रहे हैं और आपके सारे शत्रु मारे जा चुके हैं। राजन्! आपने सम्पूर्ण लोकोंको रुलानेवाले रावणका वध किया, यह सबके लिये बड़े सौभाग्यकी बात है॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.