श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न  »  श्लोक 16-17
 
 
श्लोक  7.1.16-17 
 
 
कुशलं नो महाबाहो सर्वत्र रघुनन्दन॥ १६॥
त्वां तु दिष्टॺा कुशलिनं पश्यामो हतशात्रवम्।
दिष्टॺा त्वया हतो राजन् रावणो लोकरावण:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘महाबाहु रघुनन्दन! हमारे लिये तो सर्वत्र कुशल-ही-कुशल है। सौभाग्यकी बात है कि हम आपको सकुशल देख रहे हैं और आपके सारे शत्रु मारे जा चुके हैं। राजन्! आपने सम्पूर्ण लोकोंको रुलानेवाले रावणका वध किया, यह सबके लिये बड़े सौभाग्यकी बात है॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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