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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 2: सुग्रीव का श्रीराम को उत्साह प्रदान
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श्लोक 5
श्लोक
6.2.5
समुद्रं लङ्घयित्वा तु महानक्रसमाकुलम्।
लङ्कामारोहयिष्यामो हनिष्यामश्च ते रिपुम्॥ ५॥
अनुवाद
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‘बड़े-बड़े नाकोंसे भरे हुए समुद्रको लाँघकर हमलोग लङ्कापर चढ़ाई करेंगे और आपके शत्रुको नष्ट कर डालेंगे॥ ५॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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