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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 2: सुग्रीव का श्रीराम को उत्साह प्रदान
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श्लोक 3
श्लोक
6.2.3
संतापस्य च ते स्थानं नहि पश्यामि राघव।
प्रवृत्तावुपलब्धायां ज्ञाते च निलये रिपो:॥ ३॥
अनुवाद
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‘रघुनंदन! जब सीता का समाचार मिल गया और रावण के निवास-स्थान का पता लग गया, तो मुझे तुम्हारे इस दुःख और चिंता का कोई कारण नहीं दिखायी देता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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