श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  6.16.9 
 
 
विद्यते गोषु सम्पन्नं विद्यते ज्ञातितो भयम्।
विद्यते स्त्रीषु चापल्यं विद्यते ब्राह्मणे तप:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  "जैसा गायों में हव्य-कव्य का धन दूध होता है, स्त्रियों में चंचलता और ब्राह्मण में तपस्या निहित रहता है, उसी प्रकार जाति-बंधुओं से भय अवश्य ही प्राप्त होता है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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