श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  6.16.7 
 
 
नाग्निर्नान्यानि शस्त्राणि न न: पाशा भयावहा:।
घोरा: स्वार्थप्रयुक्तास्तु ज्ञातयो नो भयावहा:॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  हमारे लिए आग, कोई अन्य हथियार या जंजीर भयावह नहीं हो सकती। हमारे लिए तो हमारे ही स्वार्थी जाति-भाई भयानक और खतरे की वस्तु हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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