श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  6.16.23 
 
 
दीप्तपावकसंकाशै: शितै: काञ्चनभूषणै:।
न त्वामिच्छाम्यहं द्रष्टुं रामेण निहतं शरै:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो, श्रीराम के सोने के आभूषणों से सजे बाण तेजस्वी और तीखे हैं, वे जलती हुई आग से मिलते-जुलते हैं। मैं नहीं चाहता था कि श्रीराम के बाणों से तुम्हारे प्राण जाएं, इसलिए मैं तुम्हें समझा रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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