श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.16.22 
 
 
बद्धं कालस्य पाशेन सर्वभूतापहारिण:।
न नश्यन्तमुपेक्षे त्वां प्रदीप्तं शरणं यथा॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम काल के पाश में बँध चुके हो, जो सभी प्राणियों का नाश करने वाला है। तुम उस घर की तरह जल रहे हो जिसमें आग लग गई हो। ऐसी स्थिति में मैं तुमसे मुँह नहीं फेर सकता था, इसलिए मैंने तुम्हें अच्छे काम करने की सलाह दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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