श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  6.16.20 
 
 
सुनीतं हितकामेन वाक्यमुक्तं दशानन।
न गृह्णन्त्यकृतात्मान: कालस्य वशमागता:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  दशानन! काल के वशीभूत काम-क्रोध से पराजित पुरुष सुन्दर नीतियुक्त वचनों को भी ग्रहण नहीं करते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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