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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना
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श्लोक 17
श्लोक
6.16.17
इत्युक्त: परुषं वाक्यं न्यायवादी विभीषण:।
उत्पपात गदापाणिश्चतुर्भि: सह राक्षसै:॥ १७॥
अनुवाद
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जब विभीषण ने न्यायपूर्ण बातें कहीं तो भी रावण ने उनसे कठोर शब्दों का प्रयोग किया। तब विभीषण हाथ में गदा लिए हुए अन्य चार राक्षसों के साथ उसी समय उछलकर आकाश में चले गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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