श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  6.16.12 
 
 
यथा शरदि मेघानां सिञ्चतामपि गर्जताम्।
न भवत्यम्बुसंक्लेदस्तथानार्येषु सौहृदम्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  शरद ऋतु में गरजते और बरसते हुए बादलों का जल पृथ्वी को गीला नहीं कर पाता, उसी प्रकार अनार्यों के हृदय में स्नेह से उत्पन्न आर्द्रता नहीं पाई जाती।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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