श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  6.16.11 
 
 
यथा पुष्करपत्रेषु पतितास्तोयबिन्दव:।
न श्लेषमभिगच्छन्ति तथानार्येषु सौहृदम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे कमल के पत्तों पर गिरी हुई पानी की बूंदें उसमें मिलती नहीं हैं, इसी प्रकार अनार्यों के हृदय में सौहार्द टिक नहीं पाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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