वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना
»
श्लोक 10
श्लोक
6.16.10
ततो नेष्टमिदं सौम्य यदहं लोकसत्कृत:।
ऐश्वर्यमभिजातश्च रिपूणां मूर्ध्नि च स्थित:॥ १०॥
अनुवाद
play_arrowpause
अतः सौम्य! आज जो इस समस्त संसार में मेरा आदर-सम्मान होता है और मैं जो ऐश्वर्यशाली, अभिजाति सम्पन्न और अपने शत्रुओं के सिर पर स्थित हूँ, यह सब तुम्हें अभीष्ट नहीं है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.