श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 16: रावण के द्वारा विभीषण का तिरस्कार और विभीषण का भी उसे फटकारकर चल देना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  6.16.10 
 
 
ततो नेष्टमिदं सौम्य यदहं लोकसत्कृत:।
ऐश्वर्यमभिजातश्च रिपूणां मूर्ध्नि च स्थित:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  अतः सौम्य! आज जो इस समस्त संसार में मेरा आदर-सम्मान होता है और मैं जो ऐश्वर्यशाली, अभिजाति सम्पन्न और अपने शत्रुओं के सिर पर स्थित हूँ, यह सब तुम्हें अभीष्ट नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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