श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 14: विभीषण का राम को अजेय बताकर उनके पास सीता को लौटा देने की सम्मति देना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  6.14.21 
 
 
इदं पुरस्यास्य सराक्षसस्य
राज्ञश्च पथ्यं ससुहृज्जनस्य।
सम्यग्घि वाक्यं स्वमतं ब्रवीमि
नरेन्द्रपुत्राय ददातु मैथिलीम्॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं तो इस समूचे नगर के रक्षकों सहित स्वयं महाराज और उनके मित्रों के हित के लिए अपनी यही उत्तम सम्मति देता हूँ कि राजकुमार श्रीराम के हाथों में मिथिलेश कुमारी सीता को सौंप देना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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