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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 14: विभीषण का राम को अजेय बताकर उनके पास सीता को लौटा देने की सम्मति देना
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श्लोक 20
श्लोक
6.14.20
सुवारिणा राघवसागरेण
प्रच्छाद्यमानस्तरसा भवद्भि:।
युक्तस्त्वयं तारयितुं समेत्य
काकुत्स्थपातालमुखे पतन् स:॥ २०॥
अनुवाद
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श्रीराघव जी के सदगुणों के समुद्र में डूब रहा है या कहे श्रीराम जी के गहरे गर्त में गिर रहा है। इस स्थिति में आप सब लोगों को मिलकर इसे बचाना चाहिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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