श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 8: हनुमान् जी के द्वारा पुनः पुष्पक विमान का दर्शन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  5.8.1 
 
 
स तस्य मध्ये भवनस्य संस्थितो
महद्विमानं मणिरत्नचित्रितम्।
प्रतप्तजाम्बूनदजालकृत्रिमं
ददर्श धीमान् पवनात्मज: कपि:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  धीमान पवन कुमार कपिवर हनुमान जी रावण के भवन के मध्यभाग में खड़े होकर मणि और रत्नों से जटित और तपे हुए सुवर्णमय गवाक्षों से युक्त उस विशाल विमान को पुनः देख रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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