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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 43: हनुमान जी के द्वारा चैत्यप्रासाद का विध्वंस तथा उसके रक्षकों का वध
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श्लोक 23
श्लोक
5.43.23
सन्ति चौघबला: केचित् सन्ति वायुबलोपमा:।
अप्रमेयबला: केचित् तत्रासन् हरियूथपा:॥ २३॥
अनुवाद
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कुछ लोगों की शक्ति विशाल जलधारा के प्रवाह की तरह असहनीय होती है। कितने ही लोग वायु की तरह शक्तिशाली होते हैं और कुछ वानर-यूथपति अपने असीम बल को धारण किए हुए होते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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