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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 43: हनुमान जी के द्वारा चैत्यप्रासाद का विध्वंस तथा उसके रक्षकों का वध
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श्लोक 21-22
श्लोक
5.43.21-22
अटन्ति वसुधां कृत्स्नां वयमन्ये च वानरा:॥ २१॥
दशनागबला: केचित् केचिद् दशगुणोत्तरा:।
केचिन्नागसहस्रस्य बभूवुस्तुल्यविक्रमा:॥ २२॥
अनुवाद
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वानर पूरी पृथ्वी पर घूम रहे हैं। उनमें से कुछ में दस हाथियों जितनी शक्ति है, कुछ में सौ हाथियों जितनी, और कुछ में एक हजार हाथियों जितनी शक्ति है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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