वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 43: हनुमान जी के द्वारा चैत्यप्रासाद का विध्वंस तथा उसके रक्षकों का वध
»
श्लोक 20-21h
श्लोक
5.43.20-21h
मादृशानां सहस्राणि विसृष्टानि महात्मनाम्॥ २०॥
बलिनां वानरेन्द्राणां सुग्रीववशवर्तिनाम्।
अनुवाद
play_arrowpause
राक्षस! मेरे जैसे बाजुबली और बलशाली हजारों वानरों को सुग्रीव ने चारों दिशाओं में भेज रखा है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.