वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 4: हनुमान जी का लंकापुरी एवं रावण के अन्तःपुर में प्रवेश
»
श्लोक 1-2
श्लोक
5.4.1-2
स निर्जित्य पुरीं लंकां श्रेष्ठां तां कामरूपिणीम्।
विक्रमेण महातेजा हनूमान् कपिसत्तम:॥ १॥
अद्वारेण महावीर्य: प्राकारमवपुप्लुवे।
निशि लंकां महासत्त्वो विवेश कपिकुञ्जर:॥ २॥
अनुवाद
play_arrowpause
महातेजस्वी और महाबली कपिराज हनुमान ने अपने अद्भुत पराक्रम से उस श्रेष्ठ लंकापुरी पर विजय प्राप्त की, जो इच्छानुसार अपना रूप बदल सकती थी। रात के समय में उन्होंने बिना किसी द्वार के ही लंका की चहारदीवारी को फाँदकर लंका के अंदर प्रवेश किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.