श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 21: सीताजी का रावण को समझाना और उसे श्रीराम के सामने नगण्य बताना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  5.21.11 
 
 
अकृतात्मानमासाद्य राजानमनये रतम्।
समृद्धानि विनश्यन्ति राष्ट्राणि नगराणि च॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  सदुपदेशों को स्वीकार न करने वाले और अशुद्ध मन वाले अन्यायी राजा के शासन में आकर समृद्ध से समृद्ध राज्य और नगर भी नष्ट हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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